Sunday, 1 October 2017

स्त्रियों के स्वभाव का वर्णन (पंचचूड़ा नामक अप्सरा द्वारा) WOMEN NATUR ACCORDING TO SHIV PURAN (BY PANCHCHUDA APSRA)

्त्रियों के स्वभाव का वर्णन (शिवपुराण में पंचचूड़ा नामक अप्सराके अनुसार ) 
       नारद जी ने एक बार पंचचूड़ा नामक अप्सरा को देख लिया तब उसके पास पहुंचकर बोले सुंदरी आप कृपा करके मुझे स्त्रियों का स्वभाव सुनाइए तब पंचचूड़ा स्त्रियों के दोष वर्णन करती हुई बोली नारियों का स्वभाव बड़ा गूढ़ ोता है पवित्रता एवं कुलीन कहलाने वाली स्त्रियां भी मर्यादा में नहीं रहती यही तो उनमें दोष है इन से बढ़कर संसार में और कोई पापी भी नहीं स्त्रियां तो सब पापों की मूल है स्त्रियों में सबसे बढ़कर बुराई यह है कि वे निंदित एवं पापी पुरुषों को भी सेवन कर लेती है 


        जो भी पुरुष स्त्री कामना से एक बार पास आ जाए और थोड़ा भी अपना प्यार तथा सेवा भाव दिखा दे तो बस स्त्रियां उसी की है भय से धमकाने से धन से कभी मर्यादा में स्थिर नहीं रहती जवानी में आभूषण चाहने वाली फैशन करने वाली व्यभिचारिणी स्त्रियों की कुसंगति में पड़कर कुलीन एवं अच्छी स्त्रियां भी बिगड़ जाती है चंचल स्वभाव की तथा बुरी चेष्टा वाली स्त्रियां बड़े-बड़े विद्वानों समझदारों को भी धूल में मिला देती हैं। 

         प्राणियों को मारने में जैसे काल कभी संतुष्ट नहीं होता उसी प्रकार स्त्रियां पुरुषों से कभी तृप्त नहीं होती स्त्रियों में सबसे गूढ़ बात यह है कि पर पुरुष को देखते ही उनकी बुद्धि मैं विकार हो जाता है जिसके कारण वे पाप प्रवृत्त हो जाती है तभी तो कामना करने वाले धन दाता मान तथा शांति दाता रक्षक रहने वाले अपने पति का विचार भी वे नहीं करती आभूषण धन आदि किसी को भी परमसुख नहीं मानती केवल रति विलास को ही सुख मानती है यमराज मृत्यु पाताल वडवानल क्षुरधारा विषसर्प अग्नि आदि समस्त इकट्ठे होकर भी स्त्रियों से समता नहीं कर सकते स्त्रियां इनसे भी महा दारुण होती है नारदजी ब्रह्मा जी ने पंचमहाभूतों की रचना की संपूर्ण लोक रच डाले स्त्री पुरुषों की रचना की अन्य प्राणियों से गुण भी रचे किन्त स्त्रियों में तो दोष भर दिए यह सुनकर नारद जी को स्त्रियों से वैराग्य हो गया I

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