Thursday, 5 October 2017

काल का ज्ञान (मृत्यु के संकेत, मृत्यु तिथि जानना,मौत के लक्षण,मृत्यु का ज्ञान )



काल  का ज्ञान (मृत्यु के संकेत, मृत्यु तिथि जानना,मौत के लक्षण,मृत्यु का ज्ञान )
एक बार पार्वती ने श्री महादेव जी से काल के ज्ञान के बारे में पूछा तब महादेव जी ने पार्वती को काल का ज्ञान सुनाया l


  •  जब अचानक ही शरीर पीला पड़ जाए और ऊपरी भाग में लालिमा आ जाए तो 6 महीने के अंदर मृत्यु होती है
  •    जब जिव्हा मुख कान आंखें स्तब्ध हो जाए तो छः महीने के भीतर मौत समझो 
  •   जो लोगो का कोलाहल भी न सुन सके ऐसे भी 6 महीने के भीतर मर जाते हैं 
  •  वं जो सूर्य, चंद्र, अग्नि न देख सके अन्य सभी वस्तुओं को काला काला देखे उसे भी 6 महीने के अंदर का अतिथि जानो । 
  •  जिसका बाया हाथ 7 दिन तक तड़पता रहे वह एक महीना भर जीवित रहता है 
  •  जिसका शरीर कापता रहे तालु सुखा रहे वह भी 1 महीने तक जीवित रहता है
  •   जिसकी नाक बहती रहे मुख तथा कंठ सूख जाए वह 6 महीने जीवित रहता है 
  •  इसी प्रकार जीव्हा मोटी हो जाए दाँत भीगे रहे वह भी छः महीने का अतिथि हैI
  •  जिसको जल तेल  घी एवं दर्पण में अपना प्रतिबिम्ब दिखाई न दे अथवा बिगड़ा दिखाई दे वह छः महीने तक जीवित रहता है
  •  जो मनुष्य अपनी छाया को मस्तक के बिना देखे अथवा छाया भी दिखाई ना दे वह महीने तक भी नहीं जी सकता I
  •  ध्रुव मंडल को न देख सकने वाला मनुष्य 6 महीने तक जीता रहता है 
  •  जिसे सूर्य चंद्र मंडल की किरण तक दिखाई न दे उसकी एक  पक्ष की शेष आयु है।
  • जो अरुंधति का तारा महायान चंद्र और तारागण नहीं देख सकता उसकी आयु 1 महीने की है
  •   रात के समय इंद्रधनुष एवं दोपहर को उल्कापात तथा अपने समीप गीध तथा कौए देखे उसका जी छः महीनों से विशेष नहीं रहता।
  • जिसे स्वर्ग मार्ग तथा सात ऋषि नहीं दीखते वह भी छः महीनों तक जीता रहेगा
  •  जो अचानक ही चन्द्र सूर्य को राहु ग्रास रहा है देखे ,दिशाओं में भ्रम है वह भी छः मास तक जीता है I
  •  जिसे नीले वर्ण की मक्खी घेर रही हो उसकी एक महीने तक मृत्यु होती है । 


          मनुष्य को यदि अपनी मरण तिथि जानने की इच्छा हो तो वह स्नान द्वारा पवित्र होकर दूध एवं सुगंधित पुष्पों को दोनों हाथों में लेकर मसले, उसके ह्रदय में उस समय शुभ विचार हो फिर प्रतिपदा तिथि से तिथियों को गणना करें हाथों को सम्पुटाकार कर ले। फिर पूर्व दिशा में मुंह करके 108 नवाक्षर मंत्र का जप करे अपने हाथ के पर्वों को भी बार-बार देखता रहे जिस पर्व में भ्रमर के समान चिन्ह दिखाई दे उसी पर्व की गणना क्रम से उस तिथिको ही अपनी मरण तिथि जाने ।

    आत्म विज्ञान चार प्रकार का है, क्षण त्रुटि लव, काष्ठ मूहूर्त,दिन रात्रि पक्ष मास ऋतु वर्ष युग कल्प महा कल्प इन्ही के अनुसार प्रलय शकंर जीवों का संहार किया करते हैं। वाम, दक्षिण एवं मध्य इस प्रकार तीन मार्ग हैं। पाँच दिनों से आरम्भ करके पच्चीस दिनों तक वाम गति द्वारा नाद का प्रमाण है। वामा चरण नाद मे भूत रन्ध्र ध्वजा है। यदि उसमे ऋतु विकृत भूतों के गुण होते हो तो दाक्षिणी नाद का प्रमाण  होता है। जिस समय ईड़ा आदि नाड़ियाँ प्राणों को धरती है तो एक वर्ष तक उस प्राणी की मृत्यु होती है दस किंवा पन्द्रह दिनों तक प्रवाहित होने पर वह एक वर्ष की आयुवान होता है। एवं यदि दाम ओर की नाड़ी बीस दिनों तक प्राणों को वहन करे तो छटे मास मृत्यु जाने । ये सोलह नाड़िया चार स्थानों में रहा करती है। उनका प्रमाण जो है कि छः दिनों की संख्या से आरम्भ करके यथा विधान इसके अन्तस्थ वायें २न्ध्र प्राणों का प्रकाश होता है एवं यदि छः दिन पर्यन्तनाद चढ़ता हो तो दो साल आठ दिनों तक पुरुष जीता है। यदि सत्रह दिन पर्यन्त हो तो एक साल सात महीने छः दिन उसकी आयु है एवंआठ दिनों के भेद से प्राणी दो साल चार महीने चौबीस दिन जीता है। अगर इसी जगह पर नौ दिनों तक प्राण वायु का संचार रहे तो दो महीने ही उसका जीवन रहता है। ग्यारह दिनोंतक प्राण वायु का प्रवाह हो तो एक साल नौ महीने आठ दिन तक वह जीता है। बारह दिनों से प्रवाहित होने पर एक साल सात महीने छः दिन जीवन है। तेरह दिनों तक नाड़ी चलने पर एक साल चार महीने की आयु है। चौदह दिन हो तो एक साल छः महीने चौबीस दिन की आयु है पन्द्रह दिन तक हों तो नौ महीने चौबीस दिन जानो सोलह दिन का प्रवाह हो तो दस महीने चौबीस दिन की आयु है। अठारह दिन तक प्राण वायु वाम होकर चले तो आठ महीने बारह दिन की उसकी अवधि है। तेईस दिनोंतक वाम होकर चले तो चौबीस दिन की और चौबीस दिन का प्रवाह हो तीन महीने की आयु अवधि है इसमे अठारह दिन विशेष कहे हैं। अब दक्षिण संचार सुनिये यदि अट्ठाईस दिन पर्यन्त दक्षिण की ओर से वायु का संचार हो तो उसकी आयु केवल पन्द्रह दिन की है । दस दिन चलता रहे तो दस दिन के प्रवाह से केवल तीन दिन में मृत्यु हो जाती है। बत्तीस दिन के संचार से दो दिन की आयु है। यह सब दाक्षिण की ओर से संचार का फल सुना अब मध्यस्थ का सुनिये । जब पवन का प्रवाह मुँह के एकही हिस्से में दौड़ता अनुभव में आवे तो उसकी मौत एक ही दिन मे हो जाती है।
इस प्रकार से नष्ट आयु पुरुषों के लिए काल ज्ञानियों ने काल चक्र का वर्णन किया है।

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