विभिन्न तरह के पाप एवं उनके निमित नरक तथा नरकों से मुक्ति के उपाय (शिव महापुराण)
जो भी ब्राह्मण गौ देवता उनको छोड़कर अन्य किसी अर्थ भी असत्य भाषण करता है वह रौरव नरक में पड़ता है I
गर्भपाती, बालक हत्यारा, सोने का चोर या सोना छीनने वाला, गौ को रोकने वाला, धोखा करने वाला विश्वासघाती, शराबी, ब्राह्मण हत्या करने वाला, पराए धन को चुराने वाला एवं इन
लोगों का साथी गुरु हत्यारा इत्यादि पापात्मा कुंभी नरक में पड़ते है I
बहीन, कन्या, माता, गाय, पतिव्रता
स्त्री आदि के बेचनेवाला, केस बाल बेचने वाला, ब्याज खाने वाला इत्यादि
पापी तप्तलोह नामक नरक में पड़ते हैंI
नौकर हटाने वाला,
गुरु का अपमान करने वाला, सबसे प्रथम खाने वाला, देव निंदक, देवता बेचने वाला ,अभोग्य स्त्री से भोग कर्त्ता आदि सप्त उल नामक नरक में
गिरते है।
चोर एवं गौ हत्यारे मर्यादा मिटाने
वाले देवता तथा पितरो से बैर रखने वाले, रत्नों में खोट मिलाकर खोटे बनाने वाले, ऐसे मनुष्य कृभिभक्ष नरक में गिराये जाते है ।जहां उन्हे कीड़े भक्षण करते हैI
पितर, देव ब्राह्मण, अतिथि आदि को भोजन न देकर स्वयं खा लेने वाले,
बनावटी हथियार जोड़ने वाले लाल भक्ष नरक में पड़ते है ।
नीचों की संगति करने वाले, अनुचित
दान लेने वाले, घृत के बिना हवन कर्ता, अभक्ष्य वस्तु खाने वाला, सोमरस बेचने वाले ब्राह्मण,
रूधिरोध नरक में डाल जाते है।
द्वार तोड़ने वाले, नगर का नाश करने वाले, पापी वैतरणी नदी
में डाले जाते हैं I
युवा अवस्था के मद से चूर चूर होकर मर्यादा कुल रीत मिटा देने वाले,
स्त्री की कमाई खाने वाले पापीजन कृत्य नरक में पड़ते हैं I
बिना मतलब वृक्ष काट डालने
वाले असिपत्र वन नामक नरक में पड़ते हैं।
क्षुर, भ्रक, मृगों का शिकार करने वाले शिकारी
तथा अपना धर्म आचार त्याग देने वाले ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य आदि बन्हि ज्वाला नरक
मे पड़ते है ।
आग लगाने वाले श्वपाक नरक में पड़ते है I
स्वप्न मे वीर्य गिराने वाले ब्रह्मचारी तथा अपनी सन्तान को विद्या न देने वाले मनुष्य श्वभोजन
नाम नरक में पड़ते है।
इसी प्रकार असंख्यो नरक हैं जिनमें पापियों को यातनाएं भोगनी
पड़ती हैं पुरष मन वाणी शरीर द्वारा जिस प्रकार के पाप करता है। उसी प्रकार के नरक भोगने
पड़ते हैं। बड़े बड़े प्रायशिचतों द्वारा छोटे छोटे पाप प्रायशिचतों द्वारा निवृत किए
जाते है इनके भिन्न भिन्न प्रायश्चित कहे गये हैं। उन सभी प्रायश्चितों से तो बढ़कर भगवान शकंर का नाम स्मरण ध्यान सबसे उत्तम
प्रायश्चित है।
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