गीता में भोग विषय के कुप्रभाव
जिस प्रकार पतंग दीपक का आलिंगन करने जाए तो निश्चित ही उसकी मृत्यु हो जाती है, उसी प्रकार विषयों का आलिंगन करना अपने नाश का कारण ही सिद्ध होता है।
विषयों के यथेच्छ सेवन से उस समय तो चित को सुख का अनुभव होता है यह बात ठीक है, पर वह सुख ऐसा ही है जैसे किसी गुप्त लुटेरे का साथ मिल जाने से आरंभ में यात्री को प्रसन्नता होती है (चाहे कुछ दूर जंगल में पहुंचकर यह सर्वनाश करदे) वैसे ही वह दुख होता है l
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