Saturday, 30 September 2017

राशि ग्रह मंडल एवं लोकों का वर्णन (Saur Mandal A/S Solar System)

राशि ग्रह मंडल एवं लोकों का वर्णन 

 भूलोक ------> 1 लाख योजन ऊपर ---> सूर्यमण्डल 
सूर्यमण्डल ----> 1 लाख योजन ऊपर----->चन्द्रमण्डल 
चन्द्रमण्डल ---> 10 हजार योजन ऊपर --->नक्षत्रों तथा ग्रहों के मंडल 
नक्षत्रों तथा ग्रहों के मंडल----->1 लाख योजन ऊपर--->सात ऋषि 
सात ऋषि ------> 1 लाख योजन ऊपर -----> ध्रुवमंडल
ध्रुवमंडल------->महलोक (यहां पर सनक, सनंदन, सनातन, कपिल, आसुरि, वोढु, पच्चशिख सात ब्रह्मा के पुत्र निवास करते हैं)
 महलोक ---->दो लाख योजन ऊपर ----->शुक्र
 शुक्र -------->नीचे दो लाख योजन दूर ------>बुद्ध
बुद्ध------->10 लाख योजन ऊपर ------>मंगल
मंगल--------> 2 लाख योजन ऊपर----->बृहस्पति बृहस्पति ------>2 लाख योजन ऊपर---->शनिश्चर मंडल
शनिश्चर मंडल------> ग्यारह योजन ----->सात ऋषि
सात ऋषि------>तेरह लाख योजन--->ध्रुव निवास
ध्रुवमंडल-------> 1 करोड़ योजन नीचे ---> (भूः भुवः स्वः) ये तीन लोक 
 
   जिस पृथ्वी के भाग में सूर्य चंद्रमा का प्रकाश पड़ता है वह भूलोक कहलाता है I इसी भूमि से लाख योजन ऊपर हजारों योजन के विस्तार वाला सूर्य मंडल है I इससे लाख योजना ऊपर चंद्रमंडल है चंद्र मंडल से दस हजार योजन ऊपर नक्षत्रों तथा ग्रहों के मंडलो से एक लाख योजन ऊपर सात ऋषि और उनसे भी एक लाख योजना ऊपर ध्रुवमंडल है पृथ्वी से ऊंचा ध्रुव मंडल है और ध्रुव मंडल से एक करोड़ नीचे (भूः भुवः स्वः ) ये तीनो लोक हैं इनके मध्य में कल्प निवासी ऋषि है ध्रुव से ऊपर महलोक यहां पर सनक, सनंदन, सनातन, कपिल, आसुरि, वोढु, पच्चशिख सात ब्रह्मा के पुत्र निवास करते हैं I उन से दो लाख योजन ऊपर शुक्र इससे नीचे दो लाख योजन दूर बुद्ध बुद्ध से ऊंचे 10 लाख योजन पर मंगल वहां से दो लाख योजन बृहस्पति और यहां से भी दो लाख योजन ऊपर शनिश्चर मंडल है I ये  सभी ग्रहण अपनी राशि पर आरूढ़ रहा करते हैं I इन ग्रहों के ऊपर ग्यारह योजन की दूरी पर सात ऋषि रहते हैं वहां से ऊपर तेरह लाख योजन दूर ध्रुव निवास है I जनलोक से छब्बीस लाख योजन दूर तपलोक है उससे छः गुना दूर सत्यलोक हैं I भूलोक में सत्यवादी धर्मात्मा ज्ञानी ब्रहमचारी रहा करते हैंI भुवः लोग में मुनि देवता सिद्धि आधी स्वर्ग लोक में आदित्य पवन बसु अश्वनी कुमार विश्वदेवरुद्र साध्य नागपक्षी नवग्रह निष्पाप ऋषि गण रहते हैं I इस प्रकार का ब्रह्मांड चारों तरफ अंड कटाद से गिरा हुआ है I जलसे तथा उस से दस गुना अग्नि पवन आकाश अन्धकार आदि से घिरा हुआ है I  इस से भी ऊपर दुगना महाभूतों का लपेटा है I उसके बाद इस ब्रह्माण्ड को प्रधान तथा महातत्वों से लपेट कर परम पुरुष  विद्यमान है परब्रह्मा के गुण संख्या नाम आदि  परिणाम से रहित है I यही परब्रह्म परमात्मा है तिलो में तेल एवं दूध  में घृत के सामान भ्रमांड में व्यापक है I यह आदि बीज रूप है  I इसी से अन्य अण्डज पैदा होते हैं इन अण्डजो से पुत्र एवं अन्य वस्तुओं के बीच पैदा होता है I जब शिव एवं शक्ति का मिलाप होता है तभी सब देवता प्रकट होते हैं  I शिव शक्ति से उत्पन्न ब्रह्माण्ड प्रलय में शिव शक्ति में ही लय होती है I 
    ब्रह्मलोक से आगे बैकुण्ड जी रहते हैं इसके बाद अति कौमार नामक लोक है I इसमें शिव के पुत्र भगवान स्कंद है I इसके बाद उमा लोक है I जिसमें ब्रह्मा तथा विष्णु को प्रकट करने वाली आदि शक्ति जगदंबा देवी का निवास है इससे आगे अक्षय शिव लोक है जिसमें तीन देवताओं को जन्म देने वाले भगवान शंकर जी रहते हैं I इस लोक के पास गौलोक है जिसमें सुशीला नामक गौ तथा उसकी सेवा के लिए शिव आज्ञा से कृष्ण निवास करते हैं I

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