Friday, 29 September 2017

पाताल लोक वर्णन (PAATAL LOK)

पाताल लोक वर्णन (शिव महापुराण के अनुसार )
ब्रह्मांड कितने विस्तार का है ? ब्रमांड जल के मध्य में है I इसको शिव के अंश शेषनागजी धारण करते हैं विष्णु इसका पालन करते हैं I सिद्धि देवता, ऋषि गण इन्ही शेषनाग का निरंतर पूजन किया करते हैं I यही शेष अनंत नाम से प्रसिद्ध है I अनंत, गुण कीर्ति संपन्न स्वर्ण सम मुसलाधार जैसे परम तेजस्वी है नाग कन्याएं जिनकी पूजा करती है I यह संकर्षण रूप रुद्र है I इनका बल एवं रूप देवता लोग भी नहीं जान सकते और ना भली-भांति कह सकते हैं I पृथ्वी के नीचे भाग में सात लोक  है 
(1) अतल
(2) वितल
(3) सुतल
(4) रसातल
(5) तलातल
(6) महातल 
(7) पाताल  
प्रत्येक 10 10 हजार योजन लंबे चौड़े तथा 20 20 हजार योजन ऊँचे है इन सबकी रत्न स्वर्ण की पृथ्वी एवं आँगन है I दैत्य महानाग यही रहा करते है I  सूर्य, चंद्रमा का प्रकाश, सर्दी आदि कुछ भी नहीं व्याप्ती है I अमूल्य मणियो का प्रकाश है सभी प्रकार के सुख यहाँ विद्यमान है I कमलो वाले निर्मल जल के तालाब है I जिनमें सदा भोरे गुंजार करते हैं I नदियाँ जलाशय भी है Iऔर भी सुंदर आभूषण , सुंगधित उबटन,वेणु मृदंग अप्सरा गायन, नृत्य देव दानवो की कन्याएँ अद्भुत  वैभव विलास आदि सभी विद्यमान है पाताल लोको को तो सिद्ध दानव मनुष्य नाग आदि परम तप करके ही भोगते हैं  I

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