Sunday, 24 September 2017

शिवरात्रि के व्रत में शिव पूजा कैसे करे (HOW TO WORSHIP LORD SHIVA IN SHIVRATRI)

 शिवरात्रि का व्रत निधान (शिवमहापुराण के अनुसार)
  • भगवान शिव के लिए सब व्रतों में शिवरात्रि व्रत सर्वोत्तम है I उसका फल अधिक हैI यह व्रत फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष में होता हैI 

    इस व्रत के नियम
    (1)  प्रातः काल निद्रा त्याग दें अपना नित्य कर्म करके शिव मंदिर में पहुंचे वहां विधि पूर्वक शिव पूजन करके नमस्कार करते हुए प्रार्थना करें कि हे नीलकंठ मैं चाहता हूं कि आज शिवरात्रि का उपवास व्रत धारण करू उसमें मेरी अभिलाषा को आप कृपा करके निर्विघ्नं पूर्ण करो काम क्रोध आदि शत्रु मेरा कुछ बिगाड़ न सके मेरी भली भांति आप रक्षा करें यह कह कर शिवजी के सामने प्रतिज्ञा संकल्प करें  I
    (2) उसके बाद रात होने पर सभी पूजन सामग्री अपने पास इकट्ठी करके उस शिव मंदिर में पहुंचे हैं जहां शिवलिंग शास्त्र सिद्ध हो जिनकी प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों द्वारा हो चुकी हो वहां पहुंचकर शुद्ध स्थान पर सामग्री रख कर स्नान करें Iशुद्ध वस्त्र धारण करके उत्तम आसन पर बैठकर शिव पूजन करेंI
    (3) शिव भक्तो को  रात्रि के चारों पहरो  में चार शिवार्थिव लिंगो की रचनाकरके विधि पूर्वक चारों प्रहर वेदमंत्रो के द्वारा पांच वस्तुओं से शिव पूजन करें I
    (4) 108 शिव मंत्र बोलकर जलधारा चढ़ावे उस जलधारा से शिव पर पहिले चढ़ाई वस्तु को नीचे उतारे  उसके बाद गुरु मंत्र "किंवा शिव" नाम मंत्र बोलकर काले तिलों से भगवान शंकर को पूजकर भव,शर्व, रुद्र,पशुपति, उग्र, महान,भीम एवं ईशान इन आठ नामो को बोलते हुए कमल के पुष्प तथा कनेर के फूल शिव पर चढ़ावे I
    (5) उसके बाद धूप दीप पका हुआ उत्तम अन्न का नैवेद्य आदि  निवेदन करें फिर नमस्कार करके "ओम नमः शिवाय" इस पंचाक्षर मंत्र का भी जप करें जप हो जाने पर धेनुमुद्रा दिखाकर निर्मल जल द्वारा शिव तर्पण करें I वित्त सामर्थ्य के अनुसार भोजन का संकल्प करें I यह सबका पूजन फल शिव अर्पण करें फिर विधि पूर्वक विसर्जन करें यह यह पूजन रात्रि के पहले प्रहर का हुआI
    (6)  इसी प्रकार दूसरे प्रहर में भी वस्तुओं द्वारा शिव पूजन करके 216 शिव मंत्रों द्वारा शिव पर जल धारा चढ़ावे उसी तरह हर एक वस्तु को चढ़ाते समय पहले की अपेक्षा हर एक मंत्र दो बार बोलें तिल,जौ,  चावल,बेलपत्र,अध्र्त  बिजोरे आदि वस्तुओं से पूजन करें खीर का नैवेद्य चढ़ाकर प्रणाम करें उसके बाद पहले पहर में जपे  हुए मंत्र से दूना  जप करें ब्राह्मण भोजन वह संकल्प करके पूजन फल शिवार्पण करेंI
    फिर विसर्जन करेंI
    (7)  फिर  तीसरे प्रहर का पूजन फिर प्रथमवत हो I विशेषतः इसमें जौ के स्थान पर गेहूँ हो ,पुष्पों के स्थान पर आक के फूल पूजन में लावेI  अनेकों प्रकार के धूप,दीप,नैवेद्य, कुँए का साग भी साथ हो वह फिर चढ़ावे कपूर की आरती करें I और अध्र्त अनार चढ़ावे फिर पहले की अपेक्षादुगुना जप करें दक्षिणा सहित यथाशक्ति ब्राह्मण भोजन का संकल्प करेंI पहर समाप्त होने पर पूजन फल शिवार्पण करके विसर्जन करे I
    (8) उसके बाद चौथा प्रहर लगने पर शिव आव्हान करके उड़द, कंगनी, मूंग, सातो धातु अथवा शंख फूल एवं बिल्वपत्र आदि से मंत्रों को बोलकर विधिपूर्वक पूजन करें उसके बाद उड़द के बनाए गए पदार्थ और भी स्वादिष्ट मिष्ठान विविध प्रकार के शिव को चढ़ाएं I सुंदर पके हुए केले के फल और ऋतु के अनुकूल अन्य फल  प्रेम के  साथ शिव को समर्पित करें I फिर जितना जप  पहले किया हो उससे दुगुना जप करेंI यथाशक्ति ब्राह्मण भोजन का संकल्प करें इसी प्रकार सूर्य के उदय होने का उत्सव करता रहे I
    (9)  उसके बाद स्नान करके शिव पूजन करें अनेक पूजन सामग्री से अभिषेक करे इसके बाद रात्रि समय में जितने ब्राह्मणों का संकल्प किया हो उतने ब्राहमणो तथा यतिजनों को बुलाकर भक्ति पूर्व में भोजन करावे I
    (10)  फिर शिव को नमस्कार करके हाथों में पुष्प लेकर नम्रता  के साथ  प्रार्थना करे I दयानिधान मुझे आप अपनी भक्ति का वरदान दीजिए कि मैं सर्वदा आपकी भक्ति में तत्पर रहू  हूं जो जाने अनजाने योग्य अयोग्य मैंने आपका व्रत पूजन किया है उसे आप कृपा करके अंगीकार करें I हे शम्भो जहां पर भी मेरा जन्म हो वहां सभी आपके पूर्ण भक्त हो और उनमे  मेरा वास हो यह कह कर शिवजी पर पुष्पांजलि समर्पित करें फिर ब्राह्मणों द्वारा तिलक लगाकर उनका आशीर्वाद पाकर भगवान शंकर का विसर्जन करें I
      इस विधि के अनुसार शिवरात्रि का व्रत का बहुत ही महात्म्य है I जिसका वर्णन अतीव कठिन है I इस व्रत  के करने वाले को शिव सानिध्य प्राप्त होता हैं, वह कभी शिव से अलग नहीं होता है I यह इस प्रकार से अनायास ही किसी से यह व्रत हो जाए तो उसको भी मोक्ष पद प्राप्त होता है I

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