जलदान एवं तप महिमा वर्णन
जलदान उत्तम दान है जल सब प्राणियों का जीवन एवं संतुष्टि कारक है Iकुआं खोदने वाले मनुष्यों का आधा पाप नष्ट हो जाता हैI
जिस पुरुष के बनवाए तालाब का पानी गौ ,ब्राह्मण साधु-महात्मा पीते हैं उसकी तो सारी वंशावली का उद्धार हो जाता है I जिस तालाब का जल गर्मियों में भी नहीं सूखता उसका बनवाने वाला कभी दुखी नहीं होता I देव दानव गंधर्व नाग चर अचर सभी प्राणी जल के आश्रित हुआ करते हैं तालाब ही जीवन तथा लक्ष्मी देने वाले हैं तालाब के बनवाने से जिस तालाब में बरसात का पानी भर जाए उसके बनवाने वाले को अग्निहोत्र जितना फल मिलता है I शीतकाल में भरे रहने का फल हजार गौ दान जितना फल मिलता है I हेमंत तथा शिशिर ऋतु में भरे रहना का फल अतिरात्रि अश्वमेध यज्ञ जितना फल मिलता है I इसी कारण तालाब खुदवाना पुण्यदायक कल्याणकारक है I
इसी प्रकार वृक्ष एवं बगीचे लगवाने का भी फल मिलता है कठोर मार्ग में वृक्ष लगवाना महाफलदायक है, उसके सभी पितर तथा आने वाली वंश सभी का उद्धार हो जाता है I वृक्ष लगवाने वाला मरने के बाद अक्षय लोग में जाता है वृक्ष तो उसके पुत्रों के समान है अतः सुख पाने के हेतु प्रत्येक मनुष्य को वृक्ष लगवाना आवश्यक है I फल एवं फूलों वाले वृक्ष बहुत उत्तम होते हैं I फूलों से देवता, फलों से पितृगण , छाया से आने जाने वाले अतिथि सुख पाते हैं I ये वृक्ष सर्प, किन्नर, राक्षस, देव, मनुष्य सभी को यथोचित सुख देते हैं I सत्य सबसे उत्तम है I यही सत्यब्रम्ह ,तप , यज्ञ,शास्त्र, चेतन धैर्य, देवता, ऋषि पितर आदि का पूजन जल, विद्यादान , ब्रह्मचार्य परमपद आदि सभी सत्य रूप है I यह भूमि सत्य के आश्रय पर ही तो है I इसी कारण सदा सत्य बोलो सत्यभाषी, परम तपस्वी, सत्य धर्म का प्रेमी, सिद्ध पुरुष होता हैI उस की अप्सराएं स्वर्ग में सेवा करती है, वह अप्सरागण सेवित विमान में बैठ कर स्वर्ग में जाता है I यदि वेद शास्त्रों के जानने वाला यज्ञादिको में परिपूर्ण भी हो किंतु असत्य भाषी हो तो उसके सभी काम व्यर्थ है I अतः सत्यभाषण ही सर्वफलदायक है I
तप भी सबसे महान एवं श्रेष्ठ फलदायक है तपस्वी जन देवताओं के साथ सुख पाते है I तपस्या द्वारा स्वर्ग,यश, मुक्ति, कामना,ज्ञान-विज्ञान, संपत्ति, सौभाग्य, रूप आदि और इनसे अधिक प्राप्त होते हैं I मन के मनोरथ पूर्ण होते हैं I तपस्या के बिना ब्रह्मलोक तथा शिवलोक आदि किसी की प्राप्ति नहीं होती है I तप द्वारा मद्यपान ब्रह्महत्या, गुरुपत्नी से भोग आदि महापापो से भी मुक्ति हो जाती है I तप सारे विश्व को सुख देता है I सुख प्राप्ति से एवं मुक्ति की इच्छा से तप करना आवश्यक है I
(स्रोत :- शिव महापुराण )
जिस पुरुष के बनवाए तालाब का पानी गौ ,ब्राह्मण साधु-महात्मा पीते हैं उसकी तो सारी वंशावली का उद्धार हो जाता है I जिस तालाब का जल गर्मियों में भी नहीं सूखता उसका बनवाने वाला कभी दुखी नहीं होता I देव दानव गंधर्व नाग चर अचर सभी प्राणी जल के आश्रित हुआ करते हैं तालाब ही जीवन तथा लक्ष्मी देने वाले हैं तालाब के बनवाने से जिस तालाब में बरसात का पानी भर जाए उसके बनवाने वाले को अग्निहोत्र जितना फल मिलता है I शीतकाल में भरे रहने का फल हजार गौ दान जितना फल मिलता है I हेमंत तथा शिशिर ऋतु में भरे रहना का फल अतिरात्रि अश्वमेध यज्ञ जितना फल मिलता है I इसी कारण तालाब खुदवाना पुण्यदायक कल्याणकारक है I
इसी प्रकार वृक्ष एवं बगीचे लगवाने का भी फल मिलता है कठोर मार्ग में वृक्ष लगवाना महाफलदायक है, उसके सभी पितर तथा आने वाली वंश सभी का उद्धार हो जाता है I वृक्ष लगवाने वाला मरने के बाद अक्षय लोग में जाता है वृक्ष तो उसके पुत्रों के समान है अतः सुख पाने के हेतु प्रत्येक मनुष्य को वृक्ष लगवाना आवश्यक है I फल एवं फूलों वाले वृक्ष बहुत उत्तम होते हैं I फूलों से देवता, फलों से पितृगण , छाया से आने जाने वाले अतिथि सुख पाते हैं I ये वृक्ष सर्प, किन्नर, राक्षस, देव, मनुष्य सभी को यथोचित सुख देते हैं I सत्य सबसे उत्तम है I यही सत्यब्रम्ह ,तप , यज्ञ,शास्त्र, चेतन धैर्य, देवता, ऋषि पितर आदि का पूजन जल, विद्यादान , ब्रह्मचार्य परमपद आदि सभी सत्य रूप है I यह भूमि सत्य के आश्रय पर ही तो है I इसी कारण सदा सत्य बोलो सत्यभाषी, परम तपस्वी, सत्य धर्म का प्रेमी, सिद्ध पुरुष होता हैI उस की अप्सराएं स्वर्ग में सेवा करती है, वह अप्सरागण सेवित विमान में बैठ कर स्वर्ग में जाता है I यदि वेद शास्त्रों के जानने वाला यज्ञादिको में परिपूर्ण भी हो किंतु असत्य भाषी हो तो उसके सभी काम व्यर्थ है I अतः सत्यभाषण ही सर्वफलदायक है I
तप भी सबसे महान एवं श्रेष्ठ फलदायक है तपस्वी जन देवताओं के साथ सुख पाते है I तपस्या द्वारा स्वर्ग,यश, मुक्ति, कामना,ज्ञान-विज्ञान, संपत्ति, सौभाग्य, रूप आदि और इनसे अधिक प्राप्त होते हैं I मन के मनोरथ पूर्ण होते हैं I तपस्या के बिना ब्रह्मलोक तथा शिवलोक आदि किसी की प्राप्ति नहीं होती है I तप द्वारा मद्यपान ब्रह्महत्या, गुरुपत्नी से भोग आदि महापापो से भी मुक्ति हो जाती है I तप सारे विश्व को सुख देता है I सुख प्राप्ति से एवं मुक्ति की इच्छा से तप करना आवश्यक है I
(स्रोत :- शिव महापुराण )
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